नई दिल्ली. भारतीय सेना ने लद्दाख के जोजिला दर्रे के निकट अपनी दमदार तोप ‘फोर्ज थंडरस्टॉर्म’ को तैनात किया है. यह तोप 11,500 फीट की ऊंचाई पर कड़ाके की ठंड में तैनात की गई है. सेना की उत्तरी कमान की तोपखाना रेजिमेंट ने लद्दाख की इन पहाड़ियों में अभ्यास भी किया है. जानकारी के मुताबिक सेना की तैयारियों के तहत 15 मीडियम रेजिमेंट, ‘बटालिक बॉम्बर्स’ ने यहां बर्फ से ढकी पहाड़ियों वाली घाटी में अपने एक्शन स्टेशन तैयार किया है.
सेना की इस ड्रिल का उद्देश्य स्वयं के कौशल को और बेहतर करना है. इसके साथ ही सेना ने अपने इस कदम से जोजिला की कड़कड़ाती ठंड मे अग्निशक्ति का परिचय कराया है. यहां भारतीय तोपखाने की तोपों के गोलों से घाटी में गगनभेदी आवाज गूंजी. यह महत्वपूर्ण अभ्यास ब्रिगेडियर-रैंक के अधिकारी की अगुवाई में आयोजित किया गया.
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सेना को मिली 3 लैंडिंग स्ट्रिप्स
गौरतलब है कि भारतीय वायु सेना उत्तराखंड के पहाड़ों पर स्थित तीन एयर स्ट्रिप्स को भी अपने अधीन लेने जा रही है. इस विषय पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि यह निर्णय न केवल सैन्यबलों के लिए चीन बॉर्डर से जुड़े रणनीतिक फैसले लेने में मदद करेगा, बल्कि राज्य की कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने जिन तीन एयर स्ट्रिप्स का जिक्र किया है, उनमें कुमाऊं के पिथौरागढ़ स्थित एयर स्ट्रिप्स व गढ़वाल के पहाड़ों के मध्य में बनी धरासू और गौचर एयर स्ट्रिप्स शामिल हैं.
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Amidst the frozen whispers of high altitudes, Thunderbolt Gunners of #DhruvaCommand forge thunderstorms by honing skills beyond #Zojilla Pass to refine professional skills and enhance operational readiness.
— NORTHERN COMMAND – INDIAN ARMY (@NorthernComd_IA) November 27, 2023
उत्तराखंड सरकार ने किया सहयोग
‘रैबार-5’ कार्यक्रम के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि पिथौरागढ़, धरासू और गौचर उत्तराखंड में लैंडिंग ग्राउंड हैं. यह तीनों लैंडिंग स्ट्रिप्स राज्य सरकार की जमीन पर बनी हैं. राज्य सरकार चाहती थी कि इनका इस्तेमाल सिक्योरिटी फोर्सेस करें. इसलिए, इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के मुताबिक अब इन स्ट्रिप्स का विस्तार किया जाएगा. सिक्किम, अरुणाचलन प्रदेश और लद्दाख जैसे बॉर्डर स्टेट्स में लोगों की मदद के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. उनके मुताबिक यहां सेना सहकारी समितियों से दूध, फ्रैश फूड और स्थानीय उपज खरीदती हैं, जिससे स्थानीय ग्रामीणों को लाभ होता है.
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FIRST PUBLISHED : November 27, 2023, 20:47 IST